गौतम बुद्ध, जिन्हें सिद्धार्थ गौतम नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक नेता और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। विश्व इतिहास में वे एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में श्रद्धा करने वाले हैं। नीचे गौतम बुद्ध की संक्षेप में जीवनी दी गई है: गौतम बुद्ध एक राजपरिवार में जन्मे थे, लेकिन उन्होंने अपने सातवें जन्म के अध्ययन के लिए समृद्ध जीवन को त्याग दिया था। भौगोलिक दुनिया से असंतुष्ट होकर, उन्होंने अपने अध्यात्मिक सफलता और अंतर्मन की खोज में एक धार्मिक यात्रा शुरू की। 29 वर्ष की उम्र में, सिद्धार्थ गौतम ने अपने राजमहल को छोड़ दिया और वृद्धावस्था, रोग, और मृत्यु के वास्तविकता से अपने जीवन को प्रभावित किया। फिर उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षकों से मार्गदर्शन लिया और कठोर तपस्या का अभ्यास किया, लेकिन उन्हें अपने प्रश्नों के लिए कोई स्थायी उत्तर नहीं मिला। एक दिन, भारत के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान में लगे सिद्धार्थ ने एक गहरा समझौता किया, जिसे उनका "महाबोधि" या "बोधि" कहा जाता है, जिससे उन्हें बुद्ध, "जागृत" बनाया गया। उन्हें जन्म-मरण के चक्र के बारे में गहरी अनुभूति हुई और उन्हें चार आर्य सत्यों की पहचान हुई, जो बौद्ध धर्म के आधार को रखते हैं। गौतम बुद्ध, जिन्हें सिद्धार्थ गौतम नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक नेता और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। विश्व इतिहास में वे एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में श्रद्धा करने वाले हैं। नीचे गौतम बुद्ध की संक्षेप में जीवनी दी गई है: गौतम बुद्ध एक राजपरिवार में जन्मे थे, लेकिन उन्होंने अपने सातवें जन्म के अध्ययन के लिए समृद्ध जीवन को त्याग दिया था। भौगोलिक दुनिया से असंतुष्ट होकर, उन्होंने अपने अध्यात्मिक सफलता और अंतर्मन की खोज में एक धार्मिक यात्रा शुरू की। 29 वर्ष की उम्र में, सिद्धार्थ गौतम ने अपने राजमहल को छोड़ दिया और वृद्धावस्था, रोग, और मृत्यु के वास्तविकता से अपने जीवन को प्रभावित किया। फिर उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षकों से मार्गदर्शन लिया और कठोर तपस्या का अभ्यास किया, लेकिन उन्हें अपने प्रश्नों के लिए कोई स्थायी उत्तर नहीं मिला। एक दिन, भारत के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान में लगे सिद्धार्थ ने एक गहरा समझौता किया, जिसे उनका "महाबोधि" या "बोधि" कहा जाता है, जिससे उन्हें बुद्ध, "जागृत" बनाया गया। उन्हें जन्म-मरण के चक्र के बारे में गहरी अनुभूति हुई और उन्हें चार आर्य सत्यों की पहचान हुई, जो बौद्ध धर्म के आधार को रखते हैं। गौतम बुद्ध, जिन्हें सिद्धार्थ गौतम नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक नेता और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म लुम्बिनी (वर्तमान नेपाल) में लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। विश्व इतिहास में वे एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में श्रद्धा करने वाले हैं। नीचे गौतम बुद्ध की संक्षेप में जीवनी दी गई है: गौतम बुद्ध एक राजपरिवार में जन्मे थे, लेकिन उन्होंने अपने सातवें जन्म के अध्ययन के लिए समृद्ध जीवन को त्याग दिया था। भौगोलिक दुनिया से असंतुष्ट होकर, उन्होंने अपने अध्यात्मिक सफलता और अंतर्मन की खोज में एक धार्मिक यात्रा शुरू की। 29 वर्ष की उम्र में, सिद्धार्थ गौतम ने अपने राजमहल को छोड़ दिया और वृद्धावस्था, रोग, और मृत्यु के वास्तविकता से अपने जीवन को प्रभावित किया। फिर उन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षकों से मार्गदर्शन लिया और कठोर तपस्या का अभ्यास किया, लेकिन उन्हें अपने प्रश्नों के लिए कोई स्थायी उत्तर नहीं मिला। एक दिन, भारत के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान में लगे सिद्धार्थ ने एक गहरा समझौता किया, जिसे उनका "महाबोधि" या "बोधि" कहा जाता है, जिससे उन्हें बुद्ध, "जागृत" बनाया गया। उन्हें जन्म-मरण के चक्र के बारे में गहरी अनुभूति हुई और उन्हें चार आर्य सत्यों की पहचान हुई, जो बौद्ध धर्म के आधार को रखते हैं। चार आर्य सत्य हैं: 1. दुःख की सत्यता (दुःख): दुःख मनुष्य के